अवतार वाणी जब प्रकाश में आयी तो इसके प्रकाशन से पूर्व ही यह लोगों में काफी लोकप्रिय हो चुकी थी , प्रारंभ में लोग इसके अच्छे लगने वाले पदों को लिखकर ले जाते थे और उचित समय पर इनका प्रयोग करते थे , जब "अवतार वाणी" का प्रकाशन हुआ तो इसकी हजारों प्रतियाँ हाथों- हाथों बिक गयी और आज तक निरंतर बिक रही हैं । बाबा अवतार सिंह जी के जीवन तथा उनकी वाणी पर शोध कार्य हो चुके हैं । आगे भी होते रहेंगे ..... ।इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद बाबा अवतार सिंह जी कि प्रवल इच्छा थी कि (उनके शब्दों में " मेरी इच्छा है कि एह पुस्तक जिज्ञासु अते प्रभु प्रेमियां नूं निरंकार दे चरना विच ल्याण दा कारण बणे । मनुख वैर - विरोध ते हंकार विच्चों निकल के इस अंग- संग वासी निरंकार नूं हाजर -नाजर वेख के हर पल एहदी टेक लेन्दे होए जीवन सफला करे । और फिर उन्होंने कहा :
"गुण गाणे निरंकार दे कहे अवतार ना भूल ।
पर सदके उस अरदास तों जो प्रभ करे कबूल । । "
बाबा अवतार सिंह जी का स्पष्ट मत है कि इस निरंकार प्रभु को गुरु की कृपा से देखा (पहचाना ) जा सकता है । तभी तो वो कहते हैं कि अगर मुझे किसी के गुण गाणे हैं तो इस निरंकार प्रभु के गाणे हैं ,और मुझे ऐसी प्रार्थना करनी है जिसे यह प्रभु कबूल करे ।जारी .....!
11 आपकी टिप्पणियाँ:
.
सुन्दर आलेख । इश्वर में मेरी पूर्ण आस्था है।
.
MEANING OF GOD's LOVE
यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा?
http://www.youtube.com/watch?v=cxnHZd_jvQM&feature=related
क्योंकि परमेश्वर का राज्य बातों में नहीं, परन्तु सामर्थ में है।
प्रभु प्रार्थना अवश्य स्वीकार करते हैं . सुन्दर पोस्ट ..
धर्म की जय हो, अधर्म का नास हो ,प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो.बहुत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढ़कर.
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,......
युवक युवतियों और सन्यास के विषय में अवतार वाणी में क्या बताया गया है ?
आस्था से कीगई प्रार्थना प्रभु जरुर स्वीकारते हैं|
iswar ka naam hi apne aap mein purn dharam hai...
mere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
जबाब नहीं निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
एक टिप्पणी भेजें